मैं न कहता था सब कुछ बिखर जाएगा
सब्र जिस दिन ये हद से गुज़र जाएगा
बदगुमानी न कर आईना देखकर
जब मिलेगा तू खुद से तो डर जाएगा
जानता हूँ दिए सा जलाकर मुझे
वो हवाओ के जैसे मुकर जाएगा
मैं भी हसता रहा आखिरी सांस तक
वो समझता था ऐसे ही मर जाएगा
साथ निकले थे मैं और आवारगी
देखना अब ये है कौन घर जाएगा
देख लेंगे पसीना जो बुनियाद मैं
इन अज़ाबो का चेहरा उतर जाएगा
सचिन अग्रवाल 'तनहा'
Sunday, August 1, 2010
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