Wednesday, April 18, 2012
ये तुम ही हो मेरे हमराह वरना.....
बहुत महंगे किराए के मकाँ से
चलो आओ चलें अब इस जहां से ..........
यूँ ही तुम थामे रहना हाथ मेरा
हमे जाना है आगे आसमां से .............
...
ये तुम ही हो मेरे हमराह वरना
मेरे पैरों में दम आया कहाँ से .........
मेरी आँखों से क्या ज़ाहिर नहीं था
मैं तेरा नाम क्या लेता जुबां से ...........
सचिन अग्रवाल
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pyaari ghazal
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