
सियासत के तिलिस्मों का हरेक मंतर बताता है
कहाँ कब कितना गिरना है ये क़द्दावर बताता है
जलाया जाएगा या दफ़न होगा मौत आने पर
उसे पूछो जो इन्सां खुद को सेकूलर बताता है ............
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कहाँ थे राम, क्या थे राम, ये हम क्या बताएँगे
ये बातें तैरकर पानी पे हर पत्थर बताता है ...............
बहुत तफ़सील से देखी है ये दुनिया तमाम उसने
वो बूढा नीम के पत्तों को जो शक्कर बताता है .................
एक और मतला -
ज़माने भर में हर कोई उसे शायर बताता है
वो एक पागल जो दुनिया को अजायबघर बताता है .............
सचिन अग्रवाल
सियासत के तिलिस्मों का हरेक मंतर बताता है
ReplyDeleteकहाँ कब कितना गिरना है ये क़द्दावर बताता है
आपकी शायरी केवल मनोरंजन नहीं करती....मन के रंज बहार ले आती है....