
वो पेरिस के लिबादे थे जिन्हें खादी कहा हमने
भरम था वो जो बंटवारे को आज़ादी कहा हमने
अजब गुस्सा कि गुस्से में दुआएं भी हज़ारों थी
जब उस बूढी भिखारिन को यूँ ही दादी कहा हमने...
तेरे आँचल तले बेख़ौफ़ होके सो तो जाते हैं
गरीबी इसलिए तुझको ही शहजादी कहा हमने............
सचिन अग्रवाल
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